विष्णु मित्तल जी पेशे से सीए है लेकिन पिछले आठ सालों में सामाजिक एवं पर्यावरण संरक्षण एवम संवर्धन के कार्य।
अर्थशास्त्र में पारंगत होने का लाभ गांव वालो को धरातल स्तर पर मिला है।गांव पारंपरिक स्वरूप में कैसे सस्टेनेबल हो के लिए आज के संदर्भ में विकास के हर आयाम को वहां स्थापित करने के प्रयास हुए हैं।
पारंपरिक जल प्रणाली को दुरस्त किया गया।आगोर क्षेत्र को व्यवस्थित कर पहाड़ी के पानी को छोटे बड़े बांध बनाकर रोका गया।
वहीं इनके अतिरिक्त पानी को नाले बनाकर तालाब तक पानी पहुँचाया गया है।
सुदूरपुरा ढाढा सहित कुल दस जलाशयों का जीर्णोद्धार हो चुका है।
पुरषोत्तम पुरा गांव, दयाराम की ढानी में जिर्णोद्धार किए हुए तालाब में चार दिन पहले ही पहली बारिश के साथतालाब में पानी भरनेलगा है….तालाब में सालों से पानी ठहर ही नहीं पा रहा था, क्योंकि तालाब के रख रखाव की परख के बिना तालाब से कुछ कुछ जगह गहरे गड्ढे बनाकर मिट्टी निकाल लीगई थी जिससे पथरीली जगह में पानी रुक ही नहीं पा रहा था।इसके निवारण हेतु तालाब के पैंदे में काली मिट्टी फैलाई गई थी।
जिर्णोद्धार के दौरान तालाब में पानी आने के लिए पहाड़ी से तालाब तक आगोर और नाले व्यवस्थित किए गए ।
आसपास के गांव भी इन सब कार्यों से प्रेरणा लेकर उपेक्षित पारम्परिक जल प्रणाली की सुदबुध लेने लगे है।इसी क्रम में गाँव वालों के सहयोग से दांतिल गाँव में ४०० साल पुरानी बावड़ी की साफ़ सफ़ाई की गई।
और जलाशयों में कूड़ा कचरा न डालने के लिए भी जगह जगह जनप्रतिनिधियों से मिलकर समाज को जागरूक किया जा रहा है।बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने के प्रयास किए जा रहे है, जिसके अंतर्गत ढलाननुमा ज़मीन पर किसानों के सहयोग से मेडबंदी और गोबर सहित जैविक खाद का उपयोग किया जा रहा है।बंजर हो चुके पहाड़ी क्षेत्र में हरियाली के नाम पर विलायती बबूल ही रह गए हैं जिसने देशी क़िस्म के पेड़ पौधोंको भी नष्ट कर दियाऔर अपनी छाँव में या आसपास किसी भी अन्य वनस्पति को पनपने नहीं देती है।
धरती के लिए नासूर बने इन विलायती बबूल को जड़ सहित उखाड़कर जलाया जा रहा है और इनकी जगह छायादार, फलदार पेड़ पौधे लगाए जा रहे हैं।
इसी मुहिम के अंतर्गत आठ नौ गाँवों में लगभग प्रति घर फलदार पेड़ वितरित किए जा रहे हैं, ताकि घर घर में पोषण युक्त फल हो और मेड़ मेड़ पर पेड़ से उन्हें अतिरिक्त आय।यह सब कार्य प्रशासन और जंप्रतिनिधियों के सहयोग से प्रभावी बनाने के प्रयास हो रहे है ।इन सभी प्रयासों से आज इस क्षेत्र का जल स्तर बढ़ने लगा है एवं गांव आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं।गोवंश यानी समग्र पशुधन के संवर्धन के भी कई कार्य किए जा रहे हैं।पशुओं की सार संभाल इलाज हेतु … एंबुलेंस जैसी आधुनिक सुविधाएं भी इसमें शामिल की गई है।
जहां से भी बीमार, दुर्घटनाग्रस्त पशु की सूचना मिलती हैं उसी समय कार्यकर्ता उन्हें ऐंबुलेंस के माध्यम से संस्थाद्वारा स्थापित सुमंगलम गौ चिकित्सालय में लेकर आते हैं और उसका उपचार कर तब तक वहाँ रखते हैं जब तक कि वो बिल्कुल स्वस्थ न हो जाए।
स्वस्थ होने के उपरांत गाय को गौशाला में भेजा जाता है।सुदूरपुरा ढाढ़ा में ' आओ साथ चलें ' संस्था ने गुणी जन ग्रामीणों के सहयोग से एक नया मिशन शुरू करते हुए ' अपना गोचर - अपना खेत ' की तरह अपनी गौशाला की नींव रखी क्योंकि गांवों में जितनी छोटी गौशालाएं होंगी, उनकी देखभाल और संचालन भी अच्छे से होगा।
विकेंद्रीकृत गौशाला का यह स्वरूप गाँव को खुशहाली, समृद्धता एवं सद्भाव का गांव आधार बन रही है।यह इस बात से समझ सकते है कि गायों की देखरेख और उनके लिए चारे, का इंतज़ाम स्वतः ही ग्रामीणों के सहयोग से हो रहा है।पर्यावरण संरक्षण संयमित उपभोग से ही संभव है। एवम अंतोदय वास्तविक सामाजिक विकास है।इसे सार्थक करने के लिए "वस्त्रम" मुहिम का फायदा गांव को खूब मिल रहा है।प्रकृति सा सद्भाव वस्त्रम के माध्यम से उन असमर्थ अपनों के लिए भी खूब लुटाया जा रहा है।
नए-पुराने वस्त्रों, पुस्तकों, खिलौने दान कर अपना सहयोग देकर न केवल अमूल्य जीवन बच रहा है बल्कि यहां -वहां फेंक दिए जाने वाले पुराने वस्त्रों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है ।आओ साथ चलें ' द्वारा परिवार से जुड़े किसी भी एक विशेष दिन यानी अपने पुरखों की याद में, घर में किसी के जन्मदिन पर,बच्चों के अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने पर, घर के किसी सदस्य की पगार बढ़ने पर ,
परिवार में नए सदस्य के आगमन या अन्य किसी भी दिन जिसे आप दान - पुण्य के रूप में प्रसादम् के माध्यम से अस्पतालों में मरीज़ों की देखभाल करने आए परिजनों को भोजन कर मनाता है।कोटपुतली में एक एवम दिल्ली के चार बड़े अस्पतालों( आरएमएल, सफ़दरजंग, एम्स एवं जी बी पंत) में मरीजोंके तीमारदारों को "प्रसादम्" के अंतर्गत भोजन वितरित किया जाता है।आने वाले दिनों में प्रसादम् में सभी छोटे बड़े अस्पतालों को शामिल करना है।
भोजन सभी जगह आसानी से सही समय पर पहुँच सके और भोजन पौष्टिकता के साथ अच्छी गुणवत्ता युक्त हो,का भी पूरा ध्यान रखा गया है।इसके लिए सप्ताह में हर रोज़ मेनू अलग अलग होता है जिसमें मुख्य रूप से मौसमी सब्ज़ी, दाल या कढ़ी, चावल एवं रोटी इत्यादिपरोसा जाता है।अस्पतालों में मरीजों को आसानी से इलाज मिल सके ,इसके लिए स्वयं सेवकों की टीम 24 घंटे तैयार रहती है।सर्दी में कंबल बैंक स्थापित किया जाता है। समय समय पर रक्तदान शिविर भी लगाए जाते हैं।देश भर मेंजरूरत मंद के इलाज, शादी एवम अन्य सभी प्रकार से आर्थिक एवम वस्तु के रूप में मदद की जाती है।महामारी के समय उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक कोरोना पीड़ितों के लिए हर संभव मदद की गई।दिल्ली के मुंडका अग्निकांड में परिवार का कमाऊ सदस्य खोने वाले परिवार को आओ साथ चलें संस्था द्वारा परिवारों को अगले दो साल तक हर महीने पाँच हज़ार की धनराशि दी जाएगी।अग्निकांड से तबाह हुए परिवारों की मदद के लिए आओसाथचलें संस्था ने यह संवेदनशील पहल की है।इस प्रकार से न केवल कोटपुतली क्षेत्र में बल्कि देश में जहां भी किसी होनहार विद्यार्थी की आर्थिक तंगी सेपढ़ाईमें दिक़्क़त आ रही हो या पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ रही हो उनकी हर संभव मदद की जाती है साथ ही संस्था द्वारा गरीब परिवार की लड़की की शादी में कन्यादान के रूप में सहायता दी जाती है।कुछ गरीब एवं गम्भीर बीमारी वाले मरीज़ों के इलाज का भी ज़िम्मा संस्था द्वारा उठाया हुआ है।ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को भी रोज़गार देने के प्रयास हो रहे हैं साथ ही गांव से युवा शहरों की ओर पलायननहीं करे इसके लिए छोटे छोटे व्यवसाय शुरू किए जा रहे हैं जैसे सरसों की कच्ची घाणी।सुगठित समाज का विकास समाज के जिम्में हो तभी सही मायनों में विकास हो सकता है।आओ साथ चलें संस्था को अच्छा नेतृत्व प्रदान कर जन जन को समाज से जोड़ा है।प्रत्येक कार्य सामूहिक रूप से एक टीम करती है।
आज संस्था के पास अलग अलग क्षेत्र में निपुणता लाने के लिए विषय विशेषज्ञों, स्वयं सेवकों की पूरी टीम है।संसाधनों की दृष्टि से संस्था आत्मनिर्भर। गांव में पर्यावरण का समग्र संरक्षण एवम संवर्धन हो रहा है।सीए विष्णु मित्तल द्वारा किए जाने वाले कार्यों से कोटपुतली के क्षेत्र में पर्यावरणीय, सामाजिक- सांस्कृतिक, स्वास्थ्य एवम आर्थिक विकास बिना किसी सरकारी सहायता के हो रहे हैं पंच 'ज' यानी जन, जल, जंगल, जमीन एवम जानवर हेतु किए जाने वाले कार्य समाज - देश को अवश्य एक नई दिशा प्रदान करेंगे।